प्रार्थना का अर्थ है—जीवात्मा के साथ सक्रिय, अनन्य भक्ति, प्रेममय सम्बन्ध। आदर्श प्रार्थना साधक की ईश्वर-प्राप्ति के लिये आर्त्तता या आकुलता की भावना की अभिव्यक्ति है। सच्ची हृदय से निकली हुई प्रार्थना तुरन्त फलदायिनी होती है।
आदर्श प्रार्थना में शरीर, मन, वाणी—तीनों का सहयोगी होता है। तीनों अपने आराध्यदेव की सेवा में एकरूप होते हैं। प्रार्थना काल में शरीर का रोम-रोम पुलकित होता है। मन में उठने वाली प्रत्येक वृत्ति भगवत्प्रेम से सराबोर होती है। मुँह से निकलने वाला प्रत्येक शब्द भगवत्प्रेम से परिलुप्त होता है। प्रार्थना की महिमा का जितना भी वर्णन किया जाय, उतना ही थोड़ा है। हृदय से निकली हुई सच्ची प्रार्थना में अगाध शक्ति होती है।
क्योंकि हृदय की प्रबल भावभक्ति में पत्थर को भी पिघलाने की ताकत होती है। फिर भगवान् जिनके प्रति प्रार्थना की जाती है, वे जीव के जन्म-जन्मान्तर के परम हितैषी, दयानिधान और करुणा के असीम सागर हैं। यही कारण है कि सच्ची प्रार्थना-भाव के उदित होते ही मूक भी वाचाल हो जाता है, पंग्ङु गिरिवर लाँघ जाता है और असम्भव कार्यों का भी क्षणमात्र में सम्पादन हो जाता है।
पूर्व राष्ट्रपति और भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक श्री एपीजे अब्दुल कलाम कहते हैं :
प्रार्थना जीवन के प्रति एक दृष्टिकोण है। प्रार्थना स्वयं का समर्पण कर देना और वास्तविकता को स्वीकार करना है। ईश्वर को अपने भीतर महसूस करने की शक्ति को प्रार्थना कहते हैं। मुझे मालूम है कि जितनी योग्यता मेरे पास है, अच्छा काम करने के लिए उससे भी अधिक की जरूरत है। इसलिए मुझे मदद की आवश्यकता है और वह सिर्फ ईश्वर ही दे सकता है।
मोहनदास करमचंद गांधी कहते हैं :
प्रार्थना की शक्ति के बिना मैं कभी का पागल हो गया होता।
लैरी डोस्सी (हीलिंग वर्डस द पावर ऑफ प्रेयर एंड द प्रैक्टिस ऑफ मेडिसिन में) लिखती हैं :
कभी-कभी प्रार्थना दवाओं और शल्य क्रिया से भी ज्यादा शक्तिशाली ढंग से काम करती है।
प्रार्थना : मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया के अनुसार :
प्रार्थना एक धार्मिक क्रिया है जो ब्रह्माण्ड के किसी 'महान शक्ति' से सम्बन्ध जोड़ने की कोशिश करती है। प्रार्थना व्यक्तिगत हो सकती है और सामूहिक भी। इसमें शब्दों का प्रयोग हो सकता है या प्रार्थना मौन भी हो सकती है।
क्या हमें प्रार्थना करने के लिये किसी मुसीबत या अनहोनी के घटित होने का इन्तजार करना चाहिए?-स्वास्थ्य रक्षक सखा
No comments:
Post a Comment
यहाँ आपका हृदय से स्वागत है! आप प्रस्तुत सामग्री को पढ़कर यहाँ तक पहुंचे हैं! यह इस बात का प्रमाण है कि आपके लिए यहाँ पर उपयोगी जानकारी है|
प्रस्तुत पाठ्य सामग्री यदि रूचिपूर्ण लगे तो कृपया इस पर अर्थपूर्ण टिप्पणी करें! बेशक आप आलोचना करने को भी आज़ाद हैं!
आप अपनी व्यक्तिगत, पारिवारिक, व्यापारिक, दाम्पत्यिक, वैवाहिक, व्यावसायिक, यौनिक (सेक्सुअल), तकलीफ, समस्या, उलझन, सवाल या अन्य कोई भी विचार या टिप्पणी जो यहाँ पर प्रस्तुत बिषय-वस्तु से सम्बन्धित हो, को नि:शंकोच नीचे लिख सकते हैं या सीधे निम्न मेल पर भेज सकते हैं| आप अपनी बात नि:शंकोच लिखें, क्योंकि आपकी ओर से प्रस्तुत समस्या या प्राप्त मेल के तथ्यों के बारे में, जहाँ जरूरी होगा, वहाँ हमारी गोपनीयता की नीति का पूरी तरह से पालन किया जायेगा| हमारी गोपनीयता की नीति पर बिना संदेह पूर्ण विश्वास करें! आपकी कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जायेगी! आपकी टिप्पणी, केवल आपके और हमारे लिये ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्लॉग जगत के लिये मार्गदर्शक हैं| कृपया अपने विचार जरूर लिखें! यदि आप हिन्दी में लिख सकें तो बेहतर होगा!
E-mail : 4time4u@gmail.com