आप अपने जीवन को आनंद से जीने के बजाय पल-प्रतिपल, घुट-घुट कर और आंसू बहाकर रोते और बिलखते हुए काटना चाहते हैं या अपने जीवन में प्रकृति के हर एक सुख तथा सौन्दर्य को बिखेरना और भोगना चाहते हैं? यह समझने वाली बात है कि जब तक आप नहीं चाहेंगे और कोई भी आपके लिये कुछ नहीं कर सकता है! यदि सत्य धर्म से जुड़ना चाहते है तो सबसे पहले इस बात को समझ लेना उचित होगा कि आखिर "सत्य-धर्म" है क्या? इस बारे में आगे जानने से पूर्व इस बात को समझ लेना भी उपयुक्त होगा कि चाहे आप संसार के किसी भी धर्म के अनुयाई हों, सत्य धर्म को अपनाने या सत्य धर्म का अनुसरण करने से पूर्व आपको ना तो वर्तमान धर्म को छोड़ना होगा और ना ही सत्य धर्म को धारण करने या अपनाने के लिए किसी प्रकार का अनुष्ठान या ढोंग करना होगा!
सत्य धर्म में-जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, जन्मपत्री-कुंडली, गृह-गोचर, गंडा-ताबीज आदि कुछ भी नहीं, केवल एक-'वैज्ञानिक प्रार्थना'-का कमाल और आपकी हर समस्या/उलझन का स्थायी समाधान! पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ आप अपनी समस्या के बारे में सत्य और सही जानकारी भेजें, हाँ यदि आप कुछ भी छिपायेंगे या संकोच करेंगे या गलत सूचना देंगे, तो आपकी समस्या या उलझन का समाधान असम्भव है, क्योंकि ऐसी स्थिति में आप स्वयं ही, अपनी सबसे बड़ी समस्या हैं!-18.04.2011
वैज्ञानिक प्रार्थना: हम में से अधिकतर लोग तब प्रार्थना करते हैं, जबकि हम किसी भयानक मुसीबत या समस्या में फंस जाते हैं या फंस चुके होते हैं! या जब हम या हमारा कोई अपना किसी भयंकर बीमारी या मुसीबत या दुर्घटना से जूझ रहा होता है! ऐसे समय में हमारे अन्तर्मन से स्वत: ही प्रार्थना निकलती हैं। इसका मतलब ये हुआ कि हम प्रार्थना करने के लिये किसी मुसीबत या अनहोनी का इन्तजार करते रहते हैं! यदि हमें प्रार्थना की शक्ति में विश्वास है तो हमें सामान्य दिनों में भी, बल्कि हर दिन ही प्रार्थना करनी चाहिये। कुछ लोग सामान्य दिनों में भी प्रार्थना करते भी हैं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या और हकीकत यह है कि "हम में से बिरले ही जानते हैं कि सफल और परिणामदायी प्रार्थना कैसे की जाती है?" यही कारण है कि हमारे हृदय से निकलने वाली निजी और सामूहिक प्रार्थना/प्रार्थनाएँ भी असफल हो जाती हैं! हम निराश हो जाते हैं! प्रार्थना की शक्ति के प्रति हमारी आस्था धीरे-धीरे कम या समाप्त होने लगती है! जिससे निराशा और अवसाद का जन्म होता है, जबकि प्रार्थना की असफलता के लिए प्रार्थना की शक्ति नहीं, बल्कि प्रार्थना के बारे में हमारी अज्ञानता ही जिम्मेदार होती है! इसलिये यह जानना बहुत जरूरी है कि सफल, सकारात्मक और परिणामदायी प्रार्थना का नाम ही-'वैज्ञानिक प्रार्थना' है और 'वैज्ञानिक प्रार्थना' ही 'कारगर प्रार्थना' है! जिसका किसी धर्म या सम्प्रदाय से कोई सम्बन्ध नहीं है! 'वैज्ञानिक प्रार्थना' तो प्रकृति और सार्वभौमिक सत्य की भलाई और जीवन के उत्थान के लिये है! उत्साह, उमंग, आनंद, शांति, और सकून का आधार है 'वैज्ञानिक प्रार्थना'! किसी भी धर्म में 'वैज्ञानिक प्रार्थना' की मनाही नहीं हो सकती, क्योंकि वैज्ञानिक प्रार्थना का किसी धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं है! जरूरत है 'वैज्ञानिक प्रार्थना' को सीखने और समझने की पात्रता अर्जित करने और उसे अपने जीवन में अपनाने की।

इस ब्लॉग पर उपलब्ध सामग्री को निम्न शीर्षकों पर क्लिक करके पढ़ें/खोजें!

हम सब पवित्र आस्थावान और सच्चे विश्वासी बनें ना कि अविश्वासी या अन्धविश्वासी! क्योंकि अविश्वासी या अन्धविश्वासी दोनों ही कदम-कदम पर दुखी, तनावग्रस्त, असंतुष्ट और असफल रहते हैं!
-सेवासुत डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
सत्य-धर्म क्या है? ( What is The Truth-Religion?) कृपया यहाँ क्लिक करें!

10/05/2011

क्या हमें प्रार्थना करने के लिये किसी मुसीबत या अनहोनी के घटित होने का इन्तजार करना चाहिए?


"जीवन को सही अर्थों में सफलतापूर्वक जीना और जीवन की सार्वभौमिक सच्चाईयों को स्वीकार करना, सच्चाईयों में आस्था रखना और सच्चाईयों को प्यार करना किसी भी धर्म में या संस्कृति में निन्दनीय नहीं है|"
लोहे का टुकड़ा जब चुम्बक के गुणों से सम्पन्न हो जाता है तो वह अपने वजन से बारह गुने वजन के लोहे के टुकड़े को उठा सकता है| लेकिन यदि हम उसमें से चुम्बकीय गुणों को नष्ट कर दें, तो यही लोहे का टुकड़ा एक तिनके या रूई तक को नहीं उठा सकता| ठीक इसी प्रकार से चुम्बकीय आकर्षक गुणों से सम्पन्न शांति को प्राप्त ज्ञानवान गुरुजन आशा, विश्‍वास, आस्था और नित-नयी ऊर्जा से भरे हुए होते हैं| वे ठीक से जानते हैं कि उनका जन्म जीतने, सफल होने, ऊँचाईयॉं छूने और मानवता के उत्थान के लिये हुआ है|

जबकि इसके ठीक विपरीत संसार में अधिकतर ऐसे लोग होते हैं, जिनमें चुम्बकीय गुणों को तो छोडिये, किसी भी प्रकार के आकर्षक का सामान्य गुण भी नहीं होता है| समाज में अधिकतर संख्या ऐसे ही लोगों की है| ऐसे लोग अधिकतर समय अविश्‍वास, शंका, वहम, भय, डर और नकारात्मक भावों से भरे होते हैं| ऐसे नकारात्मकता से भरे लोग हमेशा हर काम के प्रारम्भ में "कहीं ऐसा हो गया तो, क्या होगा?" का काल्पनिक सवाल खड़ा करने से नहीं चूकते हैं| हर कार्य से पहले इन लोगों को नकारात्कम और आशंका ही नज़र आती है! ये लोग अपनी इसी एक मात्र कमी के कारण असफलता और निराशा के अन्धकार में पल-प्रतिपल मर-मर कर जीने को विवश होते हैं| ये लोग जहाँ एक ओर दूसरों को शांति से नहीं जीने देते हैं, वहीं दूसरी ओर ये लोग अपने जीवन को जीते नहीं हैं, बल्कि जीवन को काटते हैं| उनके अन्तर्मन (अन्तरात्मा) में छुपकर बैठा काल्पनिक डर और निराधार वहम उन्हें न तो आगे बढने देता है और न हीं उन्हें उनके जीवन को सही अर्थों में जीने ही देता है|

यदि ऐसे लोग "सत्य-धर्म" के व्यावहारिक तथा प्राकृतिक सूत्रों को और ‘‘वैज्ञानिक-प्रार्थना’’ के महत्व को समझ जायें तो कोई भी साधारण से साधारण व्यक्ति भी चुम्बकीय आकर्षण से युक्त गुणों से सराबोर हो सकता है| मैं क्या कोई भी आस्थावान व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि प्रार्थना करना कोई बुरी बात है| क्योंकि जीवन में कभी न कभी, कहीं न कहीं, हम में से सभी लोग प्रार्थना अवश्य करते हैं|

हम में से अधिकतर लोग तब प्रार्थना करते हैं, जबकि हम किसी भयानक मुसीबत या समस्या में फंस जाते हैं! या जब हम या हमारा कोई किसी भयंकर बीमारी या मुसीबत या दुर्घटना से जूझ रहा होता है! ऐसे समय में हमारे अन्तर्मन से स्वत: ही प्रार्थना निकलने लगती हैं| इसका मतलब ये हुआ कि हम प्रार्थना करने के लिये किसी मुसीबत या अनहोनी का इन्तजार करते रहते हैं! यदि हमें प्रार्थना की शक्ति में पक्का और दृढ विश्वास है तो हमें सामान्य दिनों में भी, बल्कि हर दिन ही प्रार्थना करनी चाहिये, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि "हम में से बिरले ही जानते हैं कि सफल और परिणामदायी प्रार्थना कैसे की जाती है?" यही कारण है कि अनेकों बार मुसीबत के समय में हमारे हृदय से निकलने वाली और सामूहिक प्रार्थना भी असफल हो जाती हैं! हम निराश हो जाते हैं! प्रार्थना की शक्ति के प्रति हमारी आस्था धीरे-धीरे कम या समाप्त होने लगती है! जिससे निराशा और अवसाद का जन्म होता है, जबकि प्रार्थना की असफलता के लिए प्रार्थना की शक्ति नहीं, बल्कि हमारी अज्ञानता ही जिम्मेदार होती है! इसलिये यह जानना बहुत जरूरी है कि सफल, सकारात्मक और परिणामदायी प्रार्थना कैसे की जाये! सफल, सकारात्मक  और परिणामदायी प्रार्थना का नाम ही-‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ है और ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ ही "कारगर प्रार्थना" है!

इस वैज्ञानिक प्रार्थना का किसी भी प्रचलित धर्म या सम्प्रदाय या पंथ से कोई लगाव या विरोध नहीं है| यह प्रार्थना तो जीवन की भलाई और जीवन के उत्थान के लिये है| किसी भी धर्म में इसकी मनाही नहीं है|

‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ के जरिये जीवन को सही अर्थों में सफलतापूर्वक जीना और जीवन की सार्वभौमिक सच्चाईयों को स्वीकार करना, सिखाया जाता है और इन जीवन मूल्यों में आस्था रखना और उन्हें प्यार करना संसार के किसी भी धर्म में निन्दनीय नहीं है|

इसीलिये हमारे द्वारा केवल ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ की जाती है, इच्छुक लोगों से ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ करवाई जाती है और सही तरीके से, सही ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ सिखाई जाती है, जो किसी के भी जीवन में सुख, शान्ति, सफलता, खुशी और सौन्दर्य बिखेर सकती है| जरूरत है इस ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ को "सत्य-धर्म" के जरिये सीखने की पात्रता अर्जित करने और अपने जीवन में इसे अपनाने की|

परमात्मा सभी का भला करते हैं| परमात्मा कभी किसी का बुरा नहीं करता| फिर हम परमात्मा के उपहार मानव जीवन रूपी प्रसाद का रसास्वादन करने में क्यों भूल कर रहे हैं?

1 comment:

यहाँ आपका हृदय से स्वागत है! आप प्रस्तुत सामग्री को पढ़कर यहाँ तक पहुंचे हैं! यह इस बात का प्रमाण है कि आपके लिए यहाँ पर उपयोगी जानकारी है|
प्रस्तुत पाठ्य सामग्री यदि रूचिपूर्ण लगे तो कृपया इस पर अर्थपूर्ण टिप्पणी करें! बेशक आप आलोचना करने को भी आज़ाद हैं!

आप अपनी व्यक्तिगत, पारिवारिक, व्यापारिक, दाम्पत्यिक, वैवाहिक, व्यावसायिक, यौनिक (सेक्सुअल), तकलीफ, समस्या, उलझन, सवाल या अन्य कोई भी विचार या टिप्पणी जो यहाँ पर प्रस्तुत बिषय-वस्तु से सम्बन्धित हो, को नि:शंकोच नीचे लिख सकते हैं या सीधे निम्न मेल पर भेज सकते हैं| आप अपनी बात नि:शंकोच लिखें, क्योंकि आपकी ओर से प्रस्तुत समस्या या प्राप्त मेल के तथ्यों के बारे में, जहाँ जरूरी होगा, वहाँ हमारी गोपनीयता की नीति का पूरी तरह से पालन किया जायेगा| हमारी गोपनीयता की नीति पर बिना संदेह पूर्ण विश्वास करें! आपकी कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जायेगी! आपकी टिप्पणी, केवल आपके और हमारे लिये ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्लॉग जगत के लिये मार्गदर्शक हैं| कृपया अपने विचार जरूर लिखें! यदि आप हिन्दी में लिख सकें तो बेहतर होगा!
E-mail : 4time4u@gmail.com